पाखरो प्रकरण में वन विभाग सहित जिम्मेदार संस्थाओं पर उठाए सवाल, रिपोर्ट में नए खुलासे

Share This News

News Uttaranchal :  सुप्रीम कोर्ट की केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) के सदस्य महेंद्र व्यास ने टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई को रोकने में देरी के लिए कॉर्बेट प्रशासन और राज्य के वन विभाग को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने इस मामले में अनुपूरक (सप्लिमेंटरी) रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है।

यह पहला अवसर है जब किसी जांचकर्ता ने नाम लेकर जिम्मेदार संस्थाओं को कटघरे में खड़ा ही नहीं किया, बल्कि कोर्ट से दोषियों के खिलाफ यथोचित कार्रवाई की अपील भी की है। पाखरो टाइगर सफारी निर्माण मामले में यह पहली रिपोर्ट है, जिसमें पहली बार सीटीआर के ढिकाला, गैरल, खिनौली व धनगढ़ी में भी अवैध निर्माण होने की बात सार्वजनिक हुई है।

 

करीब 35 बिंदुओं की इस रिपोर्ट में गाइडलाइन के विरुद्ध जाकर अवैध कार्यों के लिए कैम्पा व कॉर्बेट टाइगर फाउंडेशन से करोड़ों रुपये जारी करने की जानकारी कोर्ट को दी गई है। रिपोर्ट में कोर्ट को बताया गया है कि जब कॉर्बेट में अवैध रूप से कार्य हो रहे थे, तब इन कार्यों को रोकने के लिए जिम्मेदार उत्तराखंड वन विभाग एवं वन्य जीव प्रबंधन के लिए जिम्मेदार संस्थाओं ने अपने दायित्वों से आंखें फेरे रखी।

प्रकरण में पहले भी पांच बार की जा चुकी जांच
रिपोर्ट में महेंद्र व्यास ने लालढांग- चिल्लरखाल रोड पर बाघ व अन्य वन्यजीवों के महत्वपूर्ण आवास (क्रिटिकल कोर हैबिटेट) में सड़क के डामरीकरण पर घोर आपत्ति जताई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र में करीब 40 बाघ विचरण करते हैं। उन्होंने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व सहित कालागढ़ व लैंसडौन वन प्रभागों के सभी अवैध निर्माणों सहित पाखरो, मोरघट्टी में टाइगर सफरी सहित विधि विरुद्ध किए गए सभी निर्माण को ध्वस्त करने और उनकी स्टेटस रिपोर्ट तलब किए जाने की मांग अदालत से की है।

रिपोर्ट में अदालत से अवैध निर्माण कार्यों की विस्तृत जांच केंद्र सरकार के वन पर्यावरण मंत्रालय अथवा किसी अन्य एजेंसी से कराने की भी मांग की गई है। अदालत को उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रकरण में पहले भी पांच बार जांच की जा चुकी है।

 

 

पहली बार में रफा-दफा कर दी शिकायत
इस मामले में पहली बार जब शिकायत दर्ज की गई थी, तब कॉर्बेट के तत्कालिन निदेशक ने जांच एक एसडीओ स्तर के अधिकारी को सौंपी थी। बाद में इसे रफा दफा कर दिया गया। तत्कालिन प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) की ओर से एपीसीसीएफ कपिल जोशी की अध्यक्षता में बनाई कई कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया था। सीईसी के सदस्य ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसी समय इस मामले को उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाना चाहिए था। मीडिया में खबरें आने के बाद हॉफ ने कॉबिंग के आदेश दिए।

admin

Recent Posts

Kolkata Doctor Case: उत्तराखंड में डॉक्टरों का 24 घंटे का कार्य बहिष्कार, ठप रहेंगी ओपीडी सेवाएं

कोलकाता में रेजिडेंट महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म व हत्या के विरोध में शनिवार से…

5 months ago

Uttarakhand: अवंता समूह के कई ठिकानों पर ED का छापा, तीन राज्यों से 678 करोड़ की संपत्ति की कुर्क

गौतम थापर के स्वामित्व वाली अवंता ग्रुप की उत्तराखंड में करोड़ों रुपये की संपत्तियों को…

5 months ago

Uniform Civil Code: राज्य स्थापना दिवस से पहले यूसीसी लागू करेगी सरकार : सीएम धामी

यूसीसी लागू करने को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमें गर्व है…

5 months ago

सीएम धामी ने प्रदेशवासियों को दी स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, अनुकूल औद्योगिक नीति, शांत औद्योगिक वातावरण, दक्ष मानव संसाधन…

5 months ago