News Uttaranchal : एप्पल इंक के पार्टनर फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप ने लोकल प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए भारत में एक नए प्लांट पर करीब 700 मिलियन डॉलर (करीब 5.7 हजार करोड़ रुपए) का निवेश करने का प्लान बनाया है। ब्लूमबर्ग ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी है।
अमेरिका-चीन के बीच तनाव बढ़ने के कारण चीन से मैन्युफैक्चरिंग भारत में शिफ्ट की जा रही है। जियो पॉलिटिकल टेंशन और कोरोना महामारी के बाद एपल समेत अन्य अमेरिकी टेक दिग्गज चीन के बाहर भी अपनी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी के विस्तार पर काम कर रहे हैं।
300 एकड़ की साइट पर प्लांट बनेगा
मामले से जुड़े लोगों ने बताया कि ताइवान की कंपनी ने बेंगलुरु में एयरपोर्ट के करीब 300 एकड़ की साइट पर प्लांट बनाने का प्लान बनाया है। यह फैक्ट्री पार्ट बनाने के साथ एपल के हैंडसेट भी असेंबल कर सकेगी। फॉक्सकॉन अपनी इस साइट को नए इलेक्ट्रिक व्हीकल बिजनेस के लिए कुछ पार्ट्स का प्रोडक्शन करने के लिए भी यूज कर सकती है।
1 लाख जॉब्स क्रिएट होंगे
भारत में इस प्लांट के बनने से लगभग 1 लाख जॉब्स क्रिएट होने की उम्मीद है। चीन के झेंग्झौ में कंपनी के विशाल आईफोन असैंबली कॉम्प्लेक्स में इस समय लगभग 200,000 कर्मचारी काम करते हैं। हालांकि पीक प्रोडक्शन सीजन के दौरान यह संख्या बढ़ जाती है। भारत में फॉक्सकॉन का ये इन्वेस्टमेंट अब तक का उसका यहां सबसे बड़ा सिंगल इन्वेस्टमेंट है।
भारत में 2017 से बन रहे आईफोन
एपल ने 2017 में आईफोन SE के साथ भारत में आईफोन्स की मैन्युफैक्चरिंग शुरू की थी। इसके तीन इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सर्विस (EMS) पार्टनर- फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन है। आईफोन SE के बाद भारत में आईफोन 11, आईफोन 12 और आईफोन 13 की मैन्युफैक्चरिंग भी की गई। फॉक्सकॉन का प्लांट चेन्नई के पास श्रीपेरंबदूर में है।
भारत सरकार की PLI स्कीम का हिस्सा एपल
एपल के तीनों कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर भारत सरकार की 41,000 करोड़ रुपए की प्रोडक्शन-लिंक्ड इन्सेंटिव स्कीम (PLI) का हिस्सा है। इस स्कीम के बाद ही भारत में आईफोन मैन्युफैक्चरिंग में तेजी आई है। 2020 में भारत सरकार ने PLI Scheme को लॉन्च किया था। इस स्कीम से बाहर के देशों की कंपनीज को मौका मिलता है कि वो लोकल मैन्युफैक्चरिंग का फायदा उठा सकें, साथ ही उस पर इन्सेंटिव भी कमा सकें।
एप्पल ज्यादातर आईफोन चीन में ही क्यों बनवाती है?
ज्यादातर आईफोन की असेंबलिंग चीन में होती है। क्या इसका कारण लेबर की कम कॉस्ट है? इन्वेस्टोपीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक आईफोन कर्मचारी का औसत वेतन $10 प्रति घंटा है। टॉप कमाई करने वाले लगभग $27 प्रति घंटा कमाते हैं।
एपल के CEO टिम कुक के अनुसार, चीन में मैन्युफैक्चरिंग का कारण लो लेबर कॉस्ट नहीं है। अगर ऐसा होता, तो एपल अपने फोन को और भी सस्ती जगहों पर बना सकता था। कुक के अनुसार मुख्य कारण टूलिंग इंजीनियरिंग में जरूरी स्किल है। उनका दावा है कि स्पेसिफिक स्किल सेट अब US में उपलब्ध नहीं है, लेकिन चीन के पास एक्सपर्टीज है।
अलग-अलग देशों में अलग कीमतें
अमेरिका में सबसे कम कीमतों पर आईफोन मिलते हैं। चीन में मैन्युफैक्चरिंग के बावजूद अमेरिका की तुलना में आईफोन महंगा बिकता हैं। ऐसा करेंसी फ्ल्कचुएशन और चीन में लगाए जाने वाले भारी भरकम वैल्यू ऐडेड टैक्स के कारण होता है। इसी तरह भारत में भी मैन्युफैक्चरिंग के बावजूद आईफोन अमेरिका की तुलना में काफी महंगा बिकता है। अमेरिका के बाद हॉन्गकॉन्ग, जापान ऐसी जगहें हैं जहां ये सस्ता मिलता है।
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