9 January 2025

चैत्र मास में बदलती है ऋतु:अच्छी सेहत के लिए जीवन शैली और खान-पान में न करें लापरवाही, पूजा-पाठ के साथ करें मेडिटेशन

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News Uttaranchal :   आज से चैत्र मास का कृष्ण शुरू हो गया है और इस माह के शुक्ल पक्ष में नवसंवत् शुरू होता है, चैत्र नवरात्रि, राम नवमी मनाई जाती है। अब ठंड खत्म हो जाएगी और गर्मी बढ़ने लगेगी, इस वजह से चैत्र माह में खान-पान और जीवन शैली कुछ ऐसे बदलाव करने चाहिए, जिनसे ऋतु परिवर्तन के समय होने वाली मौसमी बीमारियों से हम बच सके। इन दिनों में सुबह जल्दी उठ जाना चाहिए, स्नान के बाद पूजा-पाठ और कुछ देर मेडिटेशन करना चाहिए।

 

 

 

 

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, चैत्र मास में शीतला माता के लिए शीतला सप्तमी (14 मार्च) और अष्टमी (15 मार्च) का व्रत-उपवास किया जाता है। इस व्रत में ठंडा खाना खाने की परंपरा है। जो लोग ये व्रत करते हैं, वे एक दिन पहले बनाया हुआ खाना ही खाते हैं।

दरअसल, ये समय शीत ऋतु के जाने का और ग्रीष्म ऋतु के आने का समय है। इस दौरान मौसमी बीमारियां होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। शीतला सप्तमी और अष्टमी पर ठंडा खाना खाने से हमें मौसमी बीमारियों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है। ऐसी मान्यता है।

 

 

 

 

चैत्र नवरात्रि में ज्यादा से ज्यादा पीना चाहिए फलों का रस

चैत्र की अमावस्या 21 मार्च को रहेगी। इस दिन पितरों के लिए धूप-ध्यान करना चाहिए। पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। 22 तारीख से संवत् 2080 शुरू होगा। इसी दिन से चैत्र मास की नवरात्रि भी शुरू हो जाएगी। इन दिनों में देवी मां की भक्ति के साथ मंत्र जप और ध्यान भी जरूर करें। चैत्र नवरात्रि में अन्न का त्याग करना चाहिए और अधिक से अधिक फल, फलों के रस, दूध का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है और शरीर को जरूरी ऊर्जा भी मिलती रहती है। काफी लोग चैत्र नवरात्रि में नीम का सेवन भी करते हैं। ऐसा करने से स्वास्थ्य को कई लाभ मिलते हैं।

 

 

 

 

26 मार्च को मत्स्य अवतार जयंती है। भगवान विष्णु ने पहला अवतार मछली के रूप में लिया था। मत्स्य अवतार ने राजा मनु का अहंकार तोड़ा था। उस समय जब प्रलय आया था, तब मत्स्य भगवान ने ही सृष्टि के सभी प्राणियों की रक्षा की थी।

30 मार्च को भगवान श्रीराम का प्रकट उत्सव मनाया जाएगा। त्रेतायुग में इस तिथि पर भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में अवतार लिया था। इसके बाद 6 अप्रैल को पूर्णिमा है और इस दिन हनुमान जी का प्रकट उत्सव मनाया जाएगा। इन तिथियों पर श्रीराम और हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर श्रीरामचरित मानस, सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं।

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