10 January 2025

Oscar Award: उत्तराखंड के करन थपलियाल की धमक, पिता ने पकड़ाया था कैमरा, बेटे के हुनर ने ऑस्कर में नाम कमाया

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News Uttaranchal :   ऑस्कर अवॉर्ड समारोह में जैसे ही ”द एलीफेंट व्हिस्परर्स” डॉक्यूमेंट्री के नाम की घोषणा हुई तो उत्तराखंड के एक बेटे का इकबाल दुनिया के फलक पर बुलंद हो गया। पौड़ी के नौगांव निवासी करन थपलियाल के कैमरे से शूट हुई इस डॉक्यूमेंट्री ने न केवल देश बल्कि उत्तराखंड का भी नाम ऊंचा कर दिया है। अमर उजाला से बातचीत में करन ने अपनी इस कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता को दिया।

 

 

 

प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा की डॉक्यूमेंट्री ”द एलीफेंट व्हिस्परर्स” को इस साल ऑस्कर अवॉर्ड मिला है। यह नेटफ्लिक्स डॉक्यूमेंट्री है। इसे कार्तिकी गोंसालविज ने निर्देशित और गुनीत मोंगा ने प्रोड्यूस किया है।

 

 

हाथी की देखभाल को दिखाया गया
इसकी कहानी अकेले छोड़ दिए गए हाथी और उनकी देखभाल करने वालों के बीच अटूट बंधन को दिखाती है। इस कहानी का ही एक खास जुड़ाव उत्तराखंड से भी है। पौड़ी के नौगांव निवासी युवा करन थपलियाल ने इस डॉक्यूमेंट्री को फिल्माने में अपने कैमरे का कमाल दिखाया है। वर्तमान में करन का परिवार दिल्ली में रहता है। उनका एक भाई भी सिनेमेट्रोग्राफर है।

 

 

पिता को देखकर मिली प्रेरणा
करन के पिता पेशे से फोटोग्राफर थे। उनकी एक दुकान थी, जहां करन और उनका भाई अक्सर बैठा करता था। बचपन में पिता को देखकर कैमरे की बारीकियां सीखीं। पिता ने उन्हें बचपन में जो कैमरा थमाया था, वह आज उन्हें दुनिया के फलक तक ले गया। सिनेमेटोग्राफी की शुरुआती शिक्षा-दीक्षा पिता से लेने के बाद करन से इस क्षेत्र में ही कॅरिअर बनाने की ठानी।

 

 

 

पिछले साल चूके, इस साल मिल गया ऑस्कर
करन की कई डॉक्यूमेंट्री इससे पहले भी काफी चर्चित रही हैं। वर्ष 2018 में नेट जियो पर उनकी एक डॉक्यूमेंट्री द प्रेसीडेंट बॉडीगार्ड का प्रसारण हुआ था, जो खूब चर्चाओं में रही थी। इसी प्रकार, पिछले साल उनकी सिनेमेटोग्राफी की हुई एक डॉक्यूमेंट्री ”राइटिंग विद फायर” भी ऑस्कर के लिए नामित हुई थी लेकिन अवॉर्ड नहीं मिल पाया था। करन ने कहा कि इससे ज्यादा खुशी की बात कुछ हो नहीं सकती कि इस साल हमने ऑस्कर जीता है।

 

 

याद आती है तो बाइक उठाकर पहुंच जाता हूं गांव
करन ने बताया कि वैसे तो उनका परिवार दिल्ली में रहता है लेकिन उन्हें घूमने-फिरने का बहुत शौक है। उन्होंने बताया कि जब भी उन्हें अपने गांव की याद आती है तो वह बाइक उठाकर सीधे यहां पहुंच जाते हैं। उन्होंने दो साल पहले एक प्रोजेक्ट के लिए कुमाऊं में कुछ जगहों पर शूटिंग की थी।

 

 

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