10 January 2025

चैत्र नवरात्री 2023: पहले दिन ही बन रहे कई शुभ योग, इस नवरात्रि नौका पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा

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News Uttaranchal :  हरिद्वार: Chaitra Navratri 2023: आगामी 22 मार्च 2023 से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो रही है। ज्‍योतिषाचार्यों के अुनसार इस बार पहले ही दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। आइए जानते हैं नवरात्रि के शुभ संयोग और मुहूर्त.

 

शुभयोग में चैत्र नवरात्रि का आगमन

श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के स्वामी रामभजन वन महाराज ने बताया कि शुभयोग में चैत्र नवरात्रि का आगमन होने जा रहा है। बताया कि इस वर्ष मां दुर्गा जी का आगमन नौका पर होगा। शास्त्रों में मां के इस रूप को भक्तों की समस्त इच्छाएं पूर्ण करने वाला माना जाता है, इसीलिए चैत्र नवरात्रि सभी के लिए फलदाई साबित होगी। यह इस बात का भी संकेत है कि इस वर्ष देश में खूब वर्षा होगी।

नवरात्रि पर पड़ेंगे यह शुभ संयोग

  • नवरात्रि बुधवार 22 मार्च 2023 से प्रारंभ हो रही है।
  • नवरात्रि के दौरान तीन सर्वार्थ सिद्धि योग 23 मार्च, 27 मार्च व 30 मार्च को लगेंगे।
  • इसके साथ ही अमृत सिद्धि योग 27 व 30 मार्च को होगा।
  • रवि योग 24 मार्च, 26 मार्च और 29 मार्च को होगा।
  • अंतिम नवरात्रि 30 मार्च को यानी रामनवमी के दिन गुरु पुष्य योग रहेगा।

अबकी बार पूरे नौ दिनों की नवरात्रि

शिव उपासना धर्मार्थ ट्रस्ट हरिद्वार के संस्थापक स्वामी रामभजन वन महाराज ने कहा कि सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। चैत्र माह और शारदीय नवरात्रि को प्रमुख माना जाता है। चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होता है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि बुधवार 22 मार्च 2023 से प्रारंभ हो रहे हैं। इसका समापन 30 मार्च गुरुवार को होगा।

कहा कि खास बात ये कि चैत्र नवरात्रि के पहले दिन ही कई शुभ योग बन रहे हैं। इस समय में घटस्थापना आपके लिए बहुत ही लाभदायक और उन्नतिकारक सिद्ध होगा। चैत्र नवरात्रि प्रतिपदा तिथि से ही नया हिंदू वर्ष प्रारंभ हो जाता है, चैत्र नवरात्रि में अबकी बार पूरे नौ दिनों की नवरात्रि होगी।

हिंदू नववर्ष भी आरंभ हो जाएगा

स्वामी रामभजन वन महाराज ने कहा कि चैत्र नवरात्रि का आरंभ अबकी बार बुधवार को हो रहा है, इसी के साथ हिंदू नववर्ष भी आरंभ हो जाएगा। 22 मार्च को अनल तदुपरांत पिंगल नामक संवत् भी शुरू होगा। बताया कि धार्मिक परंपरा में कहा जाता है कि सतयुग में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और प्रचलित चैत्र नवरात्रि थी, इसी दिन से युग का आरंभ भी माना जाता है। इसलिए संवत् का आरंभ चैत्र नवरात्रि से ही होता है।

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