देहरादून : प्रदेश में एक जून से सभी व्यावसायिक वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगाना अनिवार्य हो जाएगा। परिवहन विभाग द्वारा परिवहन व्यवसायियों को इसके लिए दी गई छूट 31 मई को समाप्त हो जाएगी। इसके बाद जिन वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगा नहीं पाया जाएगा, उनका चालान काटा जाएगा।
सड़क दुर्घटनाओं एक प्रमुख कारण वाहनों की तेज रफ्तार भी है। तेज रफ्तार अभी तक असंख्य जानें ले चुकी है। वाहनों की रफ्तार पर नजर रखने के लिए केंद्र सरकार ने सभी वाहनों में जीपीएस आधारित व्हीकल लोकेशन ट्रेकिंग डिवाइस सिस्टम (वीएलटीएस) लगाना अनिवार्य किया है।
वर्ष 2019 के बाद बनने वाले सभी व्यावसायिक वाहनों में वाहन कंपनियां ही ये डिवाइस लगाकर दे रही हैं। 2019 से पहले के वाहनों में इसे लगाया जाना है। इस डिवाइस का फायदा यह है कि इससे यह पता चल जाता है कि वाहन की रफ्तार कितनी है। वाहन की मौजूदा स्थिति क्या है, कहां चालक ने अचानक ब्रेक मारे, कहां तेज मोड़ काटा आदि। इस पर नजर रखने के लिए परिवहन मुख्यालय में एक कंट्रोल रूम भी बनाया गया है।
केंद्र के निर्देशों के क्रम में प्रदेश सरकार ने भी वर्ष 2019 से पुराने वाहनों में जीपीएस लगाना अनिवार्य किया था। हालांकि, इसके लिए वाहन स्वामियों को कुछ समय दिया। गत वर्ष इस व्यवस्था को सख्ती से लागू करने का निर्णय लिया गया, इसके लिए बाकायदा शासनादेश भी किया गया। वाहन स्वामियों के विरोध के कारण तब यह शासनादेश वापस ले लिया गया। तब कहा गया कि अगले वर्ष ये इस व्यवस्था को लागू कर दिया जाएगा।
इस वर्ष यात्रा शुरू होने से पहले वाहनों में जीपीएस लगाना अनिवार्य किया गया था। इसके लिए परिवहन मुख्यालय में वीएलटी कमांड एंड कंट्रोल रूम का शुभारंभ किया गया। यात्रा शुरू होने से पहले वाहन स्वामियों ने इसका फिर विरोध आरंभ कर दिया। उन्होंने इसे लगाने की कीमत अधिक बताते हुए सरकार से थोड़ा समय मांगा। इस पर सरकार ने उन्हें 31 मई तक का समय दिया। अब यह समय सीमा समाप्त हो रही है।
प्रदेश में अभी भी तकरीबन 10 हजार से अधिक वाहनों में यह सिस्टम लगाया जाना है। संयुक्त आयुक्त परिवहन एसके सिंह ने कहा कि निर्धारित तिथि 31 मई को समाप्त हो रही है। इसके बाद वाहनों में जीपीएस अनिवार्य कर दिया जाएगा। जीपीएस न लगाने वाले वाहनों का सख्ती से चालान किया जाएगा।
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