रक्षाबंधन पर मिठास घोल रहा पहाड़ी अरसा, ग्राहकों की बढ़ी डिमांड, जानें क्या है इसकी खासियत

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रक्षाबंधन त्योहार पर अरसा की मिठास इस बार मिठाइयों पर भारी पड़ेगी। बाजार में अरसा मिठाइयों का बेहतर विकल्प बनकर उभर रहा है। यह न केवल एक मिठाई है बल्कि पहाड़ी इलाकों में इसे हर शुभ कार्य में भी बनाया जाता है।

 

 

मिठाइयों में मिलावट और महंगाई के चलते ग्राहकों में अरसा की मांग बढ़ी है। यही वजह है कि शहर के कई दुकानदारों ने अरसा बनाने वाले महिलाओं के एक समूह को रक्षाबंधन के लिए बड़ी मात्रा में अरसा बनाने की डिमांड भेजी है।

रक्षाबंधन त्योहार पर मिठाइयों की खूब बिक्री होती है। लेकिन मिठाइयों में मिलावट सेहत पर भारी पड़ती है। शहर की अधिकांश मिठाई की दुकानों में पहाड़ी मिठाई अरसा की लगातार मांग बढ़ रही है।
अच्छी मिठाइयां 400 से 900 रुपये प्रति किलो बिक रही हैं। उनमें शुद्धता की गारंटी भी नहीं है। जबकि अरसा 260 रुपये प्रति किलो और शुद्ध है। अरसा घर में आसानी से बन जाता है और किसी प्रकार के केमिकल प्रयोग भी नहीं होता है। मधु ने कहा कि अरसा महंगी मिठाइयों को विकल्प बन कर उभरा है।

ऐसे बनता है अरसा

अरसा बनाने के लिए चावल को साफ कर उसे भीगाकर पीसा जाता है। उसके बाद उसे उबले हुए गुड़ वाले पानी के साथ मिलाया जाता है। फिर उसे एक बर्तन में मिलाया जाता है। फिर गोली बनाकर उसमें तिल, सौंप, इलायची मिलाई जाती है। फिर उसे सरसों के तेल में तला जाता है।
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