आपदा में लोगों को तेजी से बचाने, राहत पहुंचाने के लिए अब इंसिडेंट रिस्पांस सिस्टम (आईआरएस) तैयार किया जा रहा है। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) ने इसकी कवायद शुरू कर दी है। इसकी स्थापना राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के नियमों के तहत की जा रही है।
राज्य में हर साल आपदाएं सरकार के लिए चुनौती साबित होती हैं। हाल में सिलक्यारा सुरंग हादसा हो या उससे पहले जोशीमठ भूधंसाव जैसी आपदा। इनसे पार पाने के लिए एनडीएमए के नियमों के तहत अब आईआरएस सिस्टम तैयार किया जा रहा है। इससे आपदा की तीव्रता या जोखिम के हिसाब से तत्काल बचाव व समाधान किया जा सकेगा। आईआरएस के तीन सेक्शन होंगे। एक ऑपरेशन सेक्शन होगा।
दूसरा प्लानिंग सेक्शन और तीसरा लॉजिस्टिक सेक्शन होगा। तीनों के समन्वय से आपदा राहत कार्यों को और तेजी से किया जा सकेगा। इसके लिए यूएसडीएमए ने निविदा जारी कर दी है। ब्लॉक से लेकर जिला व राज्य स्तर पर इंसिडेंट रिस्पांस टीम (आईआरटी) भी बनाई जाएगी। आपदा के हिसाब से ये टीम भी काम करेंगी। संसाधन तत्काल जुटाए जा सकेंगे। हर काम को करने वाले अधिकारी व कर्मचारी अलग-अलग होंगे। एनडीएमए ने अगस्त माह में ही राज्य को आईआरएस बनाने के निर्देश दिए थे।
हमने आईआरएस की गाइडलाइन तैयार कर ली है। अब इसे लागू करने के लिए साफ्टवेयर बनवाया जा रहा है। इसके बाद आपदा प्रबंधन में और बेहतर तरीके से राहत एवं बचाव के कार्य किए जा सकेंगे।
– डॉ. रंजीत सिन्हा, सचिव, आपदा प्रबंधन
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