अदालत की सुनवाई के दौरान सरकारी अधिकारियों को तलब करने के मनमाने आदेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की हैं। बुधवार को मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत की कार्रवाई के दौरान मनमाना आदेश देकर सरकारी अधिकारियों को तलब करना संविधान के खिलाफ हैं। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सुनवाई के दौरान अदालतों के लिए मानक संचालन क्रियाओं (एसओपी) पर जोर दिया। कोर्ट ने कहा कि अदालतों को सरकारी अधिकारियों को मनमाने ढंग से तलब करने की प्रवृत्ति से दूर रहना चाहिए।
अधिकारियों पर टिप्पणी करने से बचें अदालतें- सुप्रीम कोर्ट
मामले की सुनवाई के दौरान फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालतों से सरकारी अधिकारियों का नजरिया अलग है, इसका ये मतलब नहीं कि अदालत उन्हें मनमाने ढंग से तलब करें। साथ ही कहा कि अदालतों को सुनवाई के दौरान अधिकारियों पर अपमानित टिप्पणियां करने से बचना चाहिए। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसके तहत उत्तर प्रदेश वित्त विभाग के दो सचिवों को हिरासत में लिया गया था। गौरतलब है कि पीठ ने पहले की सुनवाई में कहा था कि वह सरकारी अधिकारियों को तलब करने संबंधी अदालतों द्वारा अपनाए जाने वाले व्यापक दिशा-निर्देश को तय करेंगी।
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