Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति पर 77 साल बाद बनेगा ये शुभ संयोग, इस तरह करें पूजा; होगा लाभ ही लाभ

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कासगंज में मकर संक्रांति का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार मकर संक्रांति का पर्व ग्रहों का खास संयोग लेकर आ रहा है। 77 साल बाद दुर्लभ वरीयान योग का संयोग बन रहा है। इसके अलावा रवि योग भी इस दिन बन रहा है। ज्योतिष इन योग और संयोग को काफी महत्वपूर्ण मान रहे हैं। ज्योतिषाचार्य मुकंद बल्लभ भट्ट  ने बताया कि इस दिन सूर्य आराधाना और दान पुण्य करने से किस्मत के बंद दरवाजे भी खुल जाएंगे।

 

ज्योतिषाचार्य मुकंद बल्लभ भट्ट का कहना है कि मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के राशि परिवर्तन के हिसाब से मनाया जाता है। इस बार यह पर्व सोमवार को मनेगा। हिंदू धर्म में सूर्य ग्रह को सभी ग्रहों का अधिपति माना जाता है। सूर्य ग्रह यश, बल, गौरव और मान सम्मान का प्रतीक है।

मकर संक्रांति  शतभिषा नक्षत्र में मनाई जाएगी। इस दिन वारीयान योग पूरे दिन रहेगा। मकर संक्रांति पर वरीयान योग 14 जनवरी को रात 2:40 मिनट से लेकर 15 जनवरी की रात 11:10 मिनट तक है। यह योग 77 साल बाद बन रहा है। इसके साथ ही 15 जनवरी को सुबह 07 बजकर 15 मिनट से 08 बजकर 07 मिनट तक रवि योग रहेगा।

मकर संक्रांति पर सुख और वैभव प्रदान करने वाले शुक्र ग्रह अपनी उच्च राशि में मौजूद होंगे। शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ और गुरु भी अपनी स्वराशि मेष में होंगे, जिससे पर्व का महत्व काफी बढ़ गया है। इस दिन दान का विशेष महत्व है।

वैसे तो इस दिन गंगा स्नान करना चाहिए। यदि किसी कारण से गंगा स्नान को नहीं जा पा रहे हैं, तो घर पर पानी में गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए। इस दिन सूर्यदेव की विधिवत पूजा करनी चाहिए। तांबे के लोटे में तिल, अक्षत एवं लाल रंग का फूल डालकर सूर्य को अर्ध्य दें। वहीं अन्न, तिल, वस्त्र, गुड, चावल, उड़द का दान करना चाहिए। सूर्य की आराधना करने एवं दान पुण्य करने से भक्तों को विशेष फल मिलेगा।

इस तरह करें मकर संक्रांति पूजा
मकर राशि शनि देव की राशि है, इसलिए इस दिन सूर्यदेव के साथ शनिदेव की पूजा करनी चाहिए। मकर संक्रांति के दिन सुबह उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करके साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद एक तांबे के लोटे में जल भरकर और उसमें थोड़ा सा सिंदूर, अक्षत और लाल फूल डालकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। इसके साथ ही मकर संक्रांति के अवसर पर भगवान सूर्य को गुड़, तिल, खिचड़ी आदि का भोग लगाएं। इसके बाद विधिवत आरती करें।
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