Somnath Temple: क्या प्राण प्रतिष्ठा के बाद भी बना था सोमनाथ मंदिर, नेहरू ने उस वक्त किस बात का किया था विरोध?
अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां पहुंचकर नए मंदिर में भगवान के बाल रूप की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। इस समारोह के लिए देश की कई जानी मानी हस्तियों को न्योता भेजा गया है।
देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इस समारोह से दूरी बनाने की घोषणा की है। इसका कारण गिनाते हुए पार्टी ने कहा कि अयोध्या में आधे-अधूरे मंदिर का उद्घाटन हो रहा है। सत्ताधारी दल भाजपा ने कांग्रेस के फैसले की कड़ी आलोचना की है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा समेत पार्टी के कई नेताओं ने यह भी दावा किया कि पुनर्निर्माण के बाद सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन समारोह का तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू और कांग्रेस ने विरोध किया था।
सोमनाथ मंदिर कहां है? इस मंदिर का क्या इतिहास है? इसका पुनर्निर्माण कब हुआ था? मंदिर का उद्घाटन कब हुआ था? क्या कांग्रेस ने इसका विरोध किया था? आइये जानते हैं…
सोमनाथ मंदिर कहां है और कब बना था?
सोमनाथ मन्दिर गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बन्दरगाह में स्थित एक अत्यन्त प्राचीन और ऐतिहासिक शिव मन्दिर है। इसे भारत के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है।
सोमनाथ ट्रस्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार, यह मंदिर कपिला, हिरण और सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित है। सोमनाथ मंदिर का समय 649 ईसा पूर्व से पता लगाया जा सकता है लेकिन माना जाता है कि यह उससे भी पुराना है।
कहा जाता है कि सोमराज (चंद्र देवता) ने सबसे पहले सोमनाथ में सोने से बना एक मंदिर बनवाया था। इसका पुनर्निर्माण रावण ने चांदी से, कृष्ण भगवान ने लकड़ी से और भीमदेव ने पत्थर से किया था। कालांतर में मंदिर ने अपने आकर्षण और समृद्धि की वजह से कई आक्रांताओं के हमले झेले।