राम काज: टीम इंडिया की जर्सी बनाने वाले ने बनाए राम लला के वस्त्र, इनको सपने में हनुमान दिखे तो गढ़ दी मूर्ति

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अयोध्या में राम लला विराजमान हो गए। सोमवार को भगवान के बाल रूप की प्राण प्रतिष्ठा हुई। रामलला की मूर्ति की बेहद खास तस्वीरें सामने आई हैं। शृंगार युक्त मूर्ति में भगवान के पूरे स्वरूप को देखा जा सकता है। तस्वीर में राम लला माथे पर तिलक लगाए बेहद सौम्य मुद्रा में दिख रहे हैं। इससे पहले श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सचिव चंपत राय ने मंदिर को दिव्य, भव्य और सुंदर बनाने में गिलहरी समान योगदान देने वालों का भी उल्लेख किया था। आइए जानते हैं रामकाज करने वाले चेहरों को…

 

 

अरुण योगीराज की बनाई मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई
जिस मूर्ति की सोमवार को प्राण प्रतिष्ठा हुई उसे मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है। इससे पहले श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अधिकारियों ने जानकारी दी थी कि जिस मूर्ति का चयन हुआ उसमें बालत्व, देवत्व और एक राजकुमार तीनों की छवि दिखाई दे रही है।

अरुण योगीराज मैसूर महल के प्रसिद्ध मूर्तिकारों के परिवार से हैं। वह अपने परिवार की पांचवी पीढ़ी के मूर्तिकार हैं। उनके पिता योगीराज शिल्पी भी एक बेहतरीन मूर्तिकार हैं और दादा बसवन्ना शिल्पी को मैसूर के राजा का संरक्षण हासिल था।

अरुण योगीराज ने मैसूर विश्वविद्यालय से एमबीए की पढ़ाई पूरी की और करियर की शुरुआत एक प्राइवेट कंपनी में काम करके की। बाद में वह अपने अंदर के मूर्तिकार को रोक न सके और नौकरी छोड़कर 2008 में मूर्तिकला के क्षेत्र में काम करना शुरू किया।

अरुण योगीराज ने इससे पहले दिल्ली के इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति स्थल के पीछे स्थापित सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट ऊंची प्रतिमा बनाई थी। इस मूर्ति को भव्य छतरी के नीचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्थापित किया था। इसके अलावा केदारनाथ धाम में स्थापित आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची प्रतिमा भी अरुण योगीराज ने ही बनाई है। साथ ही मैसूर में 21 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा को भी उन्होंने ही तराशा था। वर्तमान में अरुण योगीराज देश के सबसे अधिक व्यस्त मूर्तिकारों में से एक माने जाते हैं।

 

रामलला की एक मूर्ति को सत्यनारायण ने भी गढ़ा
राजस्थान के सत्यनारायण पांडेय ने रामलला के बाल स्वरूप की तीन में से एक मूर्ति तैयार की है। इन्होंने मंदिर के लिए गरुण और हनुमानजी सहित अन्य मूर्तियां भी बनाई हैं, जिन्हें स्थापित कर दिया गया है। सत्यनारायण बताते हैं, ‘मैं 2022 में दीपावली के समय अयोध्या आया था। कारसेवकपुरम में विहिप के एक नेता से मिला। मैं रामलला की दो छोटी मूर्तियां सीएम योगी आदित्यनाथ को भेंट करने के लिए लाया था। वहां दोनों मूर्तियां भेंट की। उनसे राम लला की मूर्ति बनाने पर बात हुई। वह जयपुर आए तो पिताजी के समय के पुराने पत्थर दिखाए। 10 फुट लंबा, चार फुट चौड़ा व तीन फुट मोटा अत्यंत सुंदर पत्थर था। ऐसा करोड़ों पत्थरों में एक निकलता है। वह उस पत्थर का एक टुकड़ा लेकर चले गए। चंपत राय व अन्य ने उसे पंसद किया। संदेश मिलते ही पत्थर भेज दिया। फिर मुझे बुलाया। निर्देश हुआ कि कनक भवन में भगवान के दर्शन कर आएं। वहां देखा कि श्रीराम सरकार की मूर्ति जिस पत्थर से बनी है, मेरा पत्थर भी उसी खान का है। राजस्थान के मकराना में पाड़कुआं बेल्ट का यह पत्थर है।’

सत्यनारायण ने छह महीने में मूर्ति बनाई। दो सहयोगी उनके साथ थे। 12 से 18 घंटे काम किया। यह मूर्ति नि:शुल्क दी है। सत्यनारायण बताते हैं कि दो हाथी, दो शेर, गरुण, हनुमानजी मंदिर के सामने लगे हैं। ये मूर्तियां गुलाबी संगमरमर से बनी हैं। एक गणेश जी, एक हनुमानजी, दो द्वारपाल-जय और विजय द्वार पर लगी है। सभी श्वेत मकराना संगमरमर की हैं। इन्हें जयपुर स्थित सत्यनारायण के पांडेय मूर्ति भंडार में परिवार के अन्य सदस्यों व कारीगरों ने ही बनाए हैं।

 

भगवान के वस्त्र डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने बनाए
कपड़े और भगवान के वस्त्र अंबेडकरनगर के डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने बनाए हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन एंड टेक्नोलॉजी नई दिल्ली से शिक्षा प्राप्त मनीष ने टीम इंडिया की जर्सी भी बनाई हैं। वह आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के आधिकारिक डिजाइनर और बीसीसीआई में डिजाइन पार्टनर रहे हैं।

इससे पहले मनीष ने उत्तर प्रदेश खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के सहयोग से राम लला खादी प्रोजेक्ट लॉन्च किया था। मनीष ने विश्व के सबसे बड़े मास्क को बनाकर खादी को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में अपने सहयोग की शुरुआत भी की थी।

मनीष का कहना है कि इसे बढ़ावा देंगे तो बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिल सकेगा और शुभ काम राम का नाम लेकर शुरू किया जाए, इसलिए इसे प्रोजेक्ट रामलला नाम दे दिया। सबसे बड़ी बात है कि लोग राम नाम से जुड़ाव महसूस करते हैं। जब हमारे अराध्य देव ही खादी पहनेंगे तो लोग भी खादी पहनने को प्रेरित होंगे। मांग बढ़ेगी तो बाजार खड़ा होगा।

 

 

 

गर्भगृह का दरवाजा अनुराधा टिम्बर ने बनाया
अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह या गर्भगृह का दरवाजा अनुराधा टिम्बर इंटरनेशनल द्वारा बनाया गया है। यह शहर की सबसे पुरानी लकड़ी निर्माण इकाइयों में से एक है। अनुराधा टिम्बर्स इंटरनेशनल हैदराबाद के मैनेजिंग पार्टनर शरथ बाबू ने कहा कि यह जीवन में एक बार मिलने वाला अवसर और इतिहास का हिस्सा है। ये सभी दरवाजे भारतीय पारंपरिक नक्काशी से बने हैं। सभी सौगान की लड़की से बनें हैं। इस लकड़ी के दरवाजे तमिलनाडु में भी लगाए गए हैं। अयोध्या मंदिर में 18 दरवाजे लगाएं गए हैं, जिसमें मुख्य द्वार भी शामिल है। साथ ही इनके ऊपर सोने की प्लेट भी लगाई गई हैं।

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