उत्तराखण्ड : कौशल विकास योजना में 313 करोड़ का घोटाला, सरकारी अधिकारी और 27 NGO शामिल,HC ने पूछा- क्या हो सकती है CBI जांच? मांगी रिपोर्ट
हाईकोर्ट ने कोरोना काल में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले के मामले में सुनवाई की और इसमें जांच एजेंसियों को स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया है।
नैनीताल: कौशल विकास योजना के तहत कोरोना काल में हुए 313 करोड़ रुपए के घोटाले मामले में आज उच्च न्यायलय ने सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सीबीआई से मौखिक रूप से पूछा है कि क्या इस मामले में सीबीआई जांच कराई जा सकती है और इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई के लिए 30 जुलाई की तिथि तय की गई है।
Scam of Rs 313 Crore in Skill Development Scheme in Uttarakhand
हल्द्वानी आवास विकास कॉलोनी निवासी एहतेशाम हुसैन खान उर्फ विक्की खान और अन्य ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उत्तराखंड में केंद्र सरकार की सहायता से चलाई जाने वाली कौशल विकास योजना में कोविड महामारी के दौरान बहुत बड़ी गड़बड़ी की गई है। उन्होंने बताया कि कोरोना काल के दौरान जब सभी गतिविधियां प्रतिबंधित थी तब इस अवधि में प्रशिक्षण के नाम पर लगभग 313 करोड़ रुपए की धनराशि हड़प ली गई। याचिकाकर्ता ने अपनी जनहित याचिका में केंद्र सरकार, उत्तराखंड सरकार, सचिव कौशल विकास, निदेशक कौशल विकास और नोडल अधिकारी कौशल विकास को पक्षकार बनाया है। उच्च न्यायलय की पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार को इस मामले के सभी रिकॉर्ड उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किए गए थे और याचिकाकर्ता को घोटाले में शामिल निजी कंपनियों और एनजीओ को भी पक्षकार बनाने को कहा गया था।
केंद्र सरकार की योजना को लगाया 313 करोड़ का चूना
याचिकाकर्ता द्वारा कहा गया है कि राज्य में चल रही केंद्र सरकार की कौशल विकास प्रशिक्षण योजना के नाम पर कई अनियमितताएं बरती गई हैं। कोरोना काल के दौरान राज्य के 55 हजार छात्रों को प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल करके उन्हें नौकरी तक दी गई है। कई ऐसे लोगों के नाम पर धनराशि आवंटित हुई है जिनका राज्य छोड़ो दुनिया में कहीं नाम नहीं हैं और कुछ तो ऐसे हैं जिनकी उम्र अभी 18 साल भी पूरी नहीं है और वो लोग पूरी तरह से अपने माता-पिता पर निर्भर हैं। इस घोटाले में फर्जी आधार कार्ड लगाकर छात्रों का पंजीकरण कराया गया है। केंद्र सरकार की इस योजना में पूरे 313 करोड़ का नुकसान किया गया है। यह पूरा प्रकरण कोरोना काल के दौरान हुआ है जो संभव नहीं है। राज्य सरकार दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की गई है।