सौर ऊर्जा नीति 2013 के अंतर्गत सोलर प्रोजेक्ट हासिल करने वाली 12 फर्मों को झटका लगा है। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने इनके आवंटन रद्द के अपने निर्णय की पुनर्विचार याचिका भी खारिज कर दी है।
उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा अभिकरण (उरेडा) ने पुरानी सौर ऊर्जा नीति के तहत निविदा के माध्यम से 2019-20 में इन सभी फर्मों को सोलर परियोजनाएं आवंटित की थीं। इन्हें करीब एक साल में अपनी परियोजनाएं तैयार करनी थी, लेकिन कोविड के कारण पूरे नहीं कर पाए। लिहाजा, परियोजना निर्माण का समय बढ़ा दिया गया था।
2500 मेगावाट के लक्ष्य को नुकसान
प्रदेश में नई सौर ऊर्जा नीति 2023 में लागू की गई थी। इसमें दिसंबर 2027 तक राज्य में 2500 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। करीब 15.5 मेगावाट के इन प्रोजेक्ट को रद्द होने से उस लक्ष्य को नुकसान जरूर हुआ है लेकिन फायदा ये है कि इतनी देरी से परियोजनाएं शुरू होने पर आवंटन के दौर के दामों पर यूपीसीएल को बिजली खरीदनी पड़ी, जो नुकसानदायक होता।
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