अंकिता हत्याकांड: केस पौड़ी ट्रांसफर करने की याचिका खारिज, पीड़िता की मां ने बताया था आने-जाने में जान का खतरा

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News Uttaranchal :  अंकिता हत्याकांड केस कोटद्वार से पौड़ी ट्रांसफर करने की याचिका खारिज हो गई है। अंकिता की मां ने केस की सुनवाई जिला सत्र न्यायाधीश पौड़ी की अदालत में करने के लिए याचिका दाखिल की थी। पौड़ी की अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए केस स्थानांतरण की याचिका को खारिज कर दिया है। वर्तमान में मामले की सुनवाई अतिरिक्त सत्र न्यायालय कोटद्वार में चल रही है।

 

अंकिता हत्याकांड केस ट्रांसफर किए जाने के लिए अंकिता की मां सोनी भंडारी की ओर से अधिवक्ता जयदर्शन बिष्ट ने 13 फरवरी को जिला सत्र न्यायाधीश पौड़ी की अदालत में याचिका दाखिल की थी। अंकिता की मां ने हत्याकांड के आरोपियों को रसूखदार बताते हुए जानमाल के खतरे की बात कही थी।

 

 

 

कहा था कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कोटद्वार की अदालत पीड़िता के गांव से 120 किमी दूर है। जहां मेरे व परिजनों के न्यायिक कार्यों के लिए कोटद्वार आने-जाने में जानमाल का खतरा बना हुआ है जबकि सत्र न्यायालय पौड़ी मात्र 12 किमी की दूरी पर स्थित है।

लिहाजा मामले की सुनवाई अतिरिक्त सत्र न्यायालय कोटद्वार से जिला सत्र न्यायालय पौड़ी स्थानांतरित की जाए। जिला सत्र न्यायाधीश पौड़ी आशीष नैथानी ने मामले की सुनवाई करते हुए सोनी भंडारी को न्यायिक कार्यों के लिए कोटद्वार आने-जाने में सुरक्षा के लिए एसएसपी कार्यालय में प्रार्थना पत्र देने के निर्देश दिए।

 

अदालत ने माना कि मामला थाना लक्ष्मणझूला क्षेत्र का है अभियोजन की ओर से आरोपपत्र भी कोटद्वार न्यायालय में ही पेश किए गए हैं। नामित स्पेशल अभियोजन अधिकारी भी कोटद्वार क्षेत्र से हैं। मामले के परीक्षण के लिए उक्त सत्र न्यायालय की अदालत सक्षम है। अदालत ने उपरोक्त आधार पर अंकिता की मां की याचिका को खारिज कर दिया। मामले में सरकार की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता विजेंद्र रावत ने पैरवी की।

सत्र न्यायालय पौड़ी के फैसले से हमें घोर निराशा मिली है। परिवार की सुरक्षा के लिए मामले की सुनवाई पौड़ी न्यायालय हस्तांतरित करना जरूरी है। हम केस ट्रांसफर किए जाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। शुक्रवार से मैं केस ट्रांसफर की मांग को लेकर जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर अनशन पर बैठूंगी। जब तक मेरी बेटी को न्याय नहीं मिल जाता, मैं लड़ती रहूंगी।
– सोनी भंडारी, याचिकाकर्ता पीड़िता की मां।

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