10 January 2025

चीन की सेना विकसित कर रही दिमाग पर हमला करने वाले हथियार, जानें क्या हैं ये और क्यों हैं खतरे की घंटी

0
china
Share This News

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) और चीनी सेना अब एक नए तरह के जैविक हथियार विकसित कर रही हैं। इन हथियारों से पूरी दुनिया पर बड़ा खतरा पैदा होने का अनुमान है। रिपोर्ट् की मानें तो चीनी सेना ने अब कुछ न्यूरोस्ट्राइक वेपन्स यानी सीधे दिमाग पर हमला करने वाले हथियार तैयार कर लिए हैं। इनसे स्तनधारियों के दिमाग पर न सिर्फ हमला किया जा सकेगा, बल्कि उनके दिमाग को नियंत्रित भी किया जा सकता है।

 

इस बीच यह जानना जरूरी है कि आखिर यह न्यूरोस्ट्राइक वेपन्स हैं क्या? इन्हें कितना खतरनाक माना जा सकता है? क्या पहले इनका कभी इस्तेमाल हुआ है? दिमाग पर हमला कर इन हथियारों से क्या-क्या हासिल किया जा सकता है?

पहले जानें- क्या हैं न्यूरोस्ट्राइक वेपन्स?
न्यूरोस्ट्राइक वेपन्स अपने नाम की तरह ही सीधे इंसान के न्यूरो यानी तंत्रिका पर हमला करने वाले हथियार हैं। यह ऐसे हथियार हैं, जिन्हें खासतौर पर युद्ध लड़ने वाले सैनिकों या जरूरत के हिसाब से आम लोगों के दिमाग पर हमला करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह सीधी तरह किसी वस्तु द्वारा हमला न होकर एक ऊर्जा का हमला होता है। ऐसे हथियार माइक्रोवेव या ऊर्जा के जरिए दिमाग को नियंत्रित करने में भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

रिसर्च के मुताबिक, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी इन न्यूरोस्ट्राइक हथियारों को अमेरिका और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसके साथी देशों को निशाना बनाने के लिए तैयार करवा रही है। चीन इन हथियारों के जरिए जंग के पारंपरिक तरीकों से उलट गैर-पारंपरिक क्षमताओं को बढ़ाने की कोशिश में जुटा है। रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी सेना इन हथियारों को राष्ट्रपति जिनपिंग के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट पार्टी की खास जैव हथियार पहल के तहत विकसित कर रही है।

कैसे काम करते हैं न्यूरोस्ट्राइक वेपन्स?
रिपोर्ट के मुताबिक, इस तरह के हथियार चीन की कूटनीतिक तैयारियों का अहम हिस्सा हैं। इसमें कहा गया है कि जब कोरोनावायरस महामारी के दौरान पूरी दुनिया में लॉकडाउन लगा था और सैन्य गतिविधियां काफी कम हो गई थीं, ठीक उसी दौरान चीन ने अपने इन हथियारों से दुनिा का ध्यान हटाने के लिए दक्षिण चीन सागर, पूर्वी चीन सागर, ताइवान जलडमरूमध्य और भारत से लगी सीमा पर हलचल बढ़ाई थी।

कहा गया है कि इस दौरान चीन की सेना एक पूरी जनसंख्या को इन हथियारों के जरिए नियंत्रित करने के प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया था। इस दौरान लोगों के दिमाग को माइक्रोवेव्स या ऊर्जा के झटके के जरिए नुकसान पहुंचाने वाले हथियारों की भी एक शृंखला तैयार की गई। हालांकि, यह साफ नहीं है कि चीन ने अब तक इन हथियारों की टेस्टिंग की है या नहीं।

क्या होगा अगर इस तरह के हथियार इस्तेमाल होते हैं?
मौजूदा दौर में अमेरिका की ताकत कम होने के बावजूद चीन से काफी ज्यादा है। ऐसे में ताइवान या दक्षिण चीन सागर में किसी तरह का कदम उठाना चीन के लिए काफी मुश्किल है। खासकर पारंपरिक युद्ध की स्थिति में चीन को खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसे में इन हथियारों को खास तौर पर युद्धक्षेत्र में बड़े हमलों के लिए तैयार किया गया है।

अगर इन हथियारों का इस्तेमाल होता है तो चीन न सिर्फ ताइवान पर कब्जा करने में कामयाब हो सकता है, बल्कि उसे बचाने की कोशिश करने वाले अमेरिका के कूटनीतिक विकल्पों को भी कमजोर कर सकता है। इतना ही नहीं इस पूरे क्षेत्र में चीन इन हथियारों के जरिए दूसरे देशों के लिए बड़ी मुश्किलें पैदा कर सकता है।

अमेरिका भी जता है चीन की क्षमताओं पर शक
गौरतलब है कि अमेरिका के वाणिज्य मंत्रालय ने दिसंबर 2021 में चीन की एकेडमी ऑफ मिलिट्री मेडिकल साइंसेज और इससे जुड़े 11 संस्थानों-लोगों पर प्रतिबंध लगा दिए थे। मंत्रालय का कहना था कि यह संस्थान जैव-तकनीकी प्रक्रियाओं का इस्तेमाल कर रहे थे, ताकि दिमाग को नियंत्रित करने वाले हथियार तैयार किए जा सकें। कुछ अन्य रिपोर्ट्स में भी चीन की इस बढ़ती क्षमता की ओर इशारा किया जा चुका है।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!