News Uttaranchal : कैरोलिना पैनिआगुआ अमेरिका में एक छोटी-मोटी सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर हैं। किताबों के बारे में इंस्टाग्राम रील्स बनाती हैं।
उनके ज्यादा नहीं, सिर्फ 7 हजार फॉलोअर्स हैं। अपने रील्स के जरिये उन्होंने पिछले साल करीब 300 डॉलर यानी करीब 25 हजार रुपए कमाए…और अब वो परेशान हैं कि क्या उन्हें अपनी इस कमाई पर टैक्स चुकाना होगा?
अमेरिका ही नहीं भारत समेत पूरी दुनिया में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर अब एक कमाई वाला प्रोफेशन बन चुका है। मगर ये कमाई कभी एक जैसी नहीं होती…किसी महीने ज्यादा तो अगले ही महीने बहुत कम हो सकती है।
कुछ इन्फ्लुएंसर्स अभी सीधे कमाई तो नहीं कर रहे, मगर प्रमोशन के लिए ब्रांड्स की तरफ से गिफ्ट्स ले रहे हैं या एफिलिएट मार्केटिंग कर रहे हैं। सोशल मीडिया से कमाई का गणित जितना उलझाऊ है, उससे भी ज्यादा उलझाऊ है इस कमाई पर टैक्स का ताना-बाना।
भारत में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर की कमाई एक इंडिविजुअल के तौर पर टैक्सेबल होती है। यानी एक नौकरीपेशा के जैसे ही टैक्स स्लैब्स उस पर लागू होते हैं। ब्रांड्स से मिलने वाले गिफ्ट्स पर टैक्स का नियम 2022 में ही लागू हुआ है।
अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों इनकम टैक्स की दर ज्यादा है और कम कमाई भी टैक्स के दायरे में आती है। इन देशों में टैक्स अथॉरिटीज की निगरानी भी ज्यादा सख्त है।
हालांकि टैक्स में छूट पाने के भी कई तरीके हैं जो अमेरिका ही नहीं, भारत के भी सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स इस्तेमाल कर सकते हैं…लेकिन ज्यादातर को इसका पता ही नहीं होता।
ऐसे में सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर्स के लिए सोशल मीडिया पर ही अब टैक्स कंसल्टेंट्स की एक नई पौध अमेरिका में दिखने लगी है। इनमें से कई सर्टिफाइड पब्लिक अकाउंटेंट्स (CPA (भारत के चार्टर्ड अकाउंटेट्स के समकक्ष)) हैं जो खास तौर पर सोशल मीडिया से होने वाली कमाई, उस पर टैक्स के नियम और छूट के तरीकों के एक्सपर्ट हैं।
भारत में अभी इस तरह के विशेषज्ञ टैक्स कंसल्टेंट्स की पॉपुलैरिटी नहीं है। लेकिन अब सोशल मीडिया टाइम पास के बजाय कमाई का प्लेटफॉर्म बनता जा रहा है। ऐसे में यहां भी इनकी जरूरत महसूस की जा रही है।
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