News Uttaranchal : जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने एक मामले में एचपी इंडिया कंपनी को 30 दिन में लैपटाप की कीमत ग्राहक को लौटाने का आदेश दिया है। कंपनी को 20 हजार रुपये की मानसिक क्षतिपूर्ति व पांच हजार रुपये वाद व्यय भी देना होगा।
वारंटी अवधि में लैपटाप ठीक न करना कंपनी पर भारी पड़ा। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने एक मामले में एचपी इंडिया कंपनी को 30 दिन में लैपटाप की कीमत ग्राहक को लौटाने का आदेश दिया है। कंपनी को 20 हजार रुपये की मानसिक क्षतिपूर्ति व पांच हजार रुपये वाद व्यय भी देना होगा।
आर्यनगर निवासी महावीर बमराड़ा ने एचपी इंडिया के एमडी, क्षेत्रीय प्रबंधक, एचपी केयर के प्रबंधक, एचपी रिडेम्पशन के प्रबंधक व क्रिएटिव बिजनेस सिस्टम को पक्षकार बना आयोग में वाद दायर किया। महावीर के अनुसार, उन्होंने एचपी कंपनी का एक लैपटाप खरीदा था, जो बीमित व वारंटी में था। कुछ तकनीकी समस्या आने के कारण लैपटाप का कैमरा चलना बंद हो गया। वह लैपटाप को एचपी कस्टमर केयर हेल्प सेंटर ले गए, पर इसका कोई फायदा नहीं हुआ।
एचपी इंडिया सेल्स को ई-मेल के जरिए शिकायत भेजी, पर कोई समाधान नहीं हो सका। वह लैपटाप को एचपी सर्विस सेंटर ले गए, लेकिन तकनीकी दिक्कत दूर नहीं हो सकी। उन्हें बताया गया कि वह क्षेत्रीय प्रबंधक से बात करें। उन्हें फोन किया तब भी कोई समाधान नहीं हुआ।
कुछ वक्त बाद क्षेत्रीय प्रबंधक ने फोन ही उठाना बंद कर दिया। एचपी इंडिया के एमडी, क्षेत्रीय प्रबंधक की ओर से कहा गया कि परिवादी यह बात साबित नहीं कर सका है कि लैपटाप में कोई निर्माण दोष है। न इस संबंध में कोई विशेषज्ञ की राय या साक्ष्य प्रस्तुत किया। लैपटाप का तीन साल तक उपयोग किया गया, पर तब इसमें कोई खराबी नहीं आई।
परिवादी ने डिस्प्ले, वेबकैम व बैटरी बैकअप को लेकर शिकायत की, जिसके अनुसार सर्विस सेंटर पर सेवा दी गई। लैपटाप में जो पुर्जा डाला जाना था, वह परिवादी को बताया गया, पर उसने मना कर दिया। आयोग के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह दुग्ताल व सदस्य अलका नेगी ने सक्ष्यों के आधार पर यह माना कि विपक्षीगण ने वारंटी अवधि में लैपटाप ठीक न करके सेवा में कमी की है। ऐसे में परिवादी लैपटाप की कीमत, 49 हजार रुपये वापस पाने का अधिकारी है। पुराना लैपटाप उसे कंपनी को वापस करना होगा।
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