एक ओर प्रदेश के मैदानी इलाकों में घना कोहरा छाने से ठंड का प्रकोप जारी है, तो दूसरी ओर पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी न होने से पर्यटकों को मायूसी हाथ लग रही है। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो उत्तराखंड के मौसम में ऐसा बदलाव करीब 16 साल बाद दिखा। जब सर्दियों में बर्फबारी के साथ प्री और पोस्ट मानसून की बारिश के आंकड़ों में भी कमी आई है।
दिसंबर-जनवरी में बर्फ से अटी रहने वालीं वादियाें में इस बार न के बराबर बर्फबारी हुई। हालांकि, बीते बुधवार को पर्वतीय इलाकों में साल की पहली बर्फबारी हुई तो पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों के चेहरे खिल उठे। लेकिन, आने वाले दिनों में बारिश या बर्फबारी की संभावना नहीं है।
मौसम विज्ञान केंद्र की मानें तो प्रदेशभर के पर्वतीय इलाकों में दिसंबर में औसतन 3.3 इंच बर्फबारी होती है। लेकिन, बीते साल दिसंबर में सिर्फ एक बार ही बर्फबारी हुई। जबकि मानसून के बाद और मानसून से पहले सिर्फ 10-10 फीसदी बारिश हुई।
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