News Uttaranchal : Parvovirus पारवो वायरस कुत्तों में होने वाली अत्यधिक खतरनाक बीमारी है। यह एक अत्यधिक संक्रामक वायरल बीमारी होती है जो आमतौर पर पिल्लों को इतनी बीमार कर सकती है कि उनकी जान बचना बेहद मुश्किल हो जाता है। ऐसे में जानें इसके इलाज लक्षण और बचाव के बारे में।
Parvovirus: पारवो वायरस एक तरह का वायरस है जो मनुष्यों के साथ जानवरों को संक्रमित कर बीमार कर सकता है। पारवो वायरस कई तरह के होते हैं, जिनमें से कनाइन पारवो वायरस सबसे आम है, जो कुत्तों को संक्रमित करता है। अगर आपके पास भी पेट डॉग्ज या पपीज हैं, तो आपको भी इस जेनलेवा वायरस के बारे में पता होना चाहिए।
पारवो वायरस, एक अत्यधिक संक्रामक वायरल बीमारी है, जो कुत्तों को प्रभावित करती है। इससे संक्रमित होने पर दस्त, उल्टी और डिहाइड्रेशन के गंभीर और जानलेवा लक्षण का अनुभव होता है। जो खासतौर पर पिल्लों में देखा जाता है।
पारवो वायरससंक्रमित कुत्तों या उनके मल के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। वायरस महीनों तक पर्यावरण में जीवित रह सकता है, इसलिए कुत्ते खाने और पानी के कटोरे, खिलौने या यहां तक कि घास जैसी दूषित चीजों के संपर्क में आने से भी संक्रमित हो सकते हैं।
इस खतरनाक वायरस के लक्षणों में भूख न लगना, उल्टी, दस्त में खून, कमजोरी और बुखार शामिल है। वयस्क कुत्तों की तुलना में पिल्लों में यही लक्षण गंभीर रूप ले लेते हैं।
पारवो वायरस का निदान क्लीनिकल संकेतों को देखकर किया जाता है, फिजिकल एक्जामिनेशन और फिर ब्लड और मल के टेस्ट के नतीजों से किया जाता है।
पारवो वायरस का कोई इलाज नहीं है। इसके लक्षणों का इलाज किया जाता है, ताकि बीमारी गंभीर न हो जाए।
पारवो वायरस से बचने के लिए अपने डॉग को हर साल इसकी वैक्सीनेशन जरूर लगवाएं। पपीज को 6-8 हफ्ते की उम्र से वैक्सीनेशन लगने शुरू होते हैं और फिर वे जब तक 16 हफ्ते के नहीं हो जाते, तब तक 3-4 हफ्ते में बूस्टर लगते हैं। बड़े होने पर हर साल बूस्टर शॉट्स जरूर लगवाएं, ताकि इम्यूनिटी बनी रहे।
अगर आपको लग रहा है कि आपके पेट डॉग में पारवो वायरस के संकेत दिख रहे हैं, तो बिना देर किए डॉक्टर के पास उसे लेकर जाएं। निदान जितना जल्दी होगा, इलाज उतना ही आसान होगा। साथ ही पेट डॉग को दूसरे कुत्तों से दूर रखें।
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