उत्तराखंड में फूलदेई पर्व का उल्लास आज, राज्यभर में देहरी पूजन के लिए घर-घर पहुंची फुलारी
News Uttaranchal : उत्तराखंड में फूल संक्रांति फूलदेई पर्व उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। चैत्र मास की संक्रांति के मौके पर राज्यभर में यह पर्व मनाया जा रहा है। देहरी पूजन के लिए बच्चे घर-घर पहुंच रहे हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रकृति का आभार प्रकट करने वाले फूलदेई पर्व की प्रदेशवादियों को शुभकामनाएं दी व प्रदेश की सुख- समृद्धि की कामना की।
उन्होंने बताया उत्तराखंड के अधिकांश क्षेत्रों में चैत्र संक्रांति से फूलदेई का त्योहार मनाने की परंपरा है। कुमाऊं और गढ़वाल के ज्यादातर इलाकों में आठ दिन तक यह त्योहार मनाया जाता है। वहीं, कुछ इलाकों में एक माह तक भी यह पर्व मनाने की परंपरा है।
फूलदेई पर्व :
यह पर्व पूरे पर्वतीय अंचलों में धूमधाम से मनाया जाता है, जो हमारे दिनचर्या, ऋतुओं और उसके वैज्ञानिक पक्ष से जुड़ा है। किसी भी समाज के विकास के लिए वहां के रीति रिवाज और लोकपर्वों का भी विशेष योगदान होता है। इस शुभ पर्व पर हम सबको अपने नौनिहालों से घर की देहरी पर पुष्प वर्षा कराकर उन्हें शगुन तथा उपहार देकर इस त्यौहार को जीवंत बनाएं रखने के प्रयास करने चाहिए।
पिछले कुछ दशकों से हावी होती पश्चिमी सभ्यता के कारण उत्तराखंड ही नहीं सभी अंचलों में पारंपरिक त्योहारों और रीति-रिवाजों पर असर पड़ा है। ऐसे में फूलदेई के प्रति इतना उल्लास संतोष देता है कि हमारी लोक संस्कृति और परंपराएं हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहने की प्रेरणा देती है।
चैत्र की संक्रांति पर उत्तराखंड में इस पर्व को मनाया जाता है। इस दिन बच्चों द्वारा घरों की देहरी को फूलों से सजाया जाता है। घर की चौखट पर पूजन करते हुए ‘फूलदेई छम्मा देई’ कहकर मंगलकामना की जाती है। इस पर्व पर आस पड़ोस के बच्चों की भूमिका अहम होती है।
इन बच्चों को फुलारी कहा जाता है। इस दिन फुलारी टोकरी लेकर फूल चुनने जाती है। इसके बाद ‘फूलदेई छम्मा देई, दैणी द्वार भर भकार’ गीत को गाते हुए घर की देहरी का पूजन कर रंग-विरंगे फूलों से सजाती है और सुख व संपन्नता का आशीर्वाद देती है।