जोशीमठ भू-धंसाव को लेकर अब तक जितनी भी अध्ययन रिपोर्ट सामने आईं हैं, उनमें अलकनंदा नदी की ओर से जोशीमठ की जड़ पर किए जा रहे भू-कटाव को भी एक प्रमुख वजह माना गया है। यहां अलकनंदा सदियों से टो-एरोजन कर रही है। शासन ने अब इसके ट्रीटमेंट का प्लान तैयार कर लिया है।
अलकनंदा नदी के किनारे जो टो इरोजन हो रहा है, उसके लिए वेबकॉस को कार्यदायी संस्था बनाते हुए ट्रीटमेंट का काम दिया जाएगा। जोशीमठ शहर को लेकर अब तक चार प्रमुख शोध हुए हैं। इनमें भू-धंसाव को लेकर जो पांच प्रमुख कारण सामने आए हैं, उनमें से एक अलकनंदा नदी की ओर से किया जा रहा भू-कटाव भी है।
शासन की ओर से गठित समिति की जो रिपोर्ट सामने आई है, उसमें भी इस तथ्य को प्रमुखता से उजागर किया गया है। रिपोर्ट में भविष्य में भी अलकनंदा की ओर से होने वाले कटाव को खतरनाक बताया गया है। इससे नए लैंडस्लाड जोन के विकसित होने की आशंका जताई गई है।
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