10 January 2025

फंस गए उप-मुख्यमंत्री सिसोदिया , दिल्ली का जासूसी कांड पूरी कहानी

0
manish-1
Share This News

News Uttaranchal :   मनीष सिसोदिया के खिलाफ जासूसी कांड में कार्रवाई के लिए गृह मंत्रालय ने सीबीआई को मंजूरी दे दी है। सीबीआई ने गृह मंत्रालय से दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री  पर केस चलाने की अनुमति मांगी थी। सिसोदिया पर विपक्षी नेताओं की जासूसी कराने का आरोप है।

आइए जानते हैं आखिर ये जासूसी कांड है क्या? इसके जरिए किन-किन लोगों की जासूसी कराने का आरोप सिसोदिया पर लगा है? ये पूरा मामला कब और कैसे शुरू हुआ?

पहले जानिए क्या है पूरा मामला? 
2015 में दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी और अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने तो दिल्ली सरकार ने एक फीडबैक यूनिट (एफबीयू) बनाई। इसका काम विभागों, संस्थानों, स्वतंत्र संस्थानों की निगरानी करना था और यहां के कामकाज पर प्रभावी फीडबैक देना था, ताकि इस आधार पर जरूरी सुधारों का एक्शन लिया जा सके। लेकिन आरोप है कि दिल्ली सरकार के इशारे पर इस फीडबैक यूनिट ने विपक्षी दलों के नेताओं की जासूसी करनी शुरू कर दी। कई नेताओं के कामकाज पर नजर रखी जाने लगी।

2016 में विजिलेंस डिपार्टमेंट में काम कर रहे एक अफसर ने इसकी शिकायत सीबीआई से की। इसके बाद गुप्त तरीके से सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू कर दी। 12 जनवरी 2023 को सीबीआई ने विजिलेंस डिपार्टमेंट में रिपोर्ट दाखिल की। एजेंसी ने उप-राज्यपाल वीके सक्सेना से दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की।  सीबीआई ने 2016 में विजिलेंस डायरेक्टर रहे सुकेश कुमार जैन और कई अन्य पर केस दर्ज करने की इजाजत मांगी है। सूत्रों के मुताबिक उपराज्यपाल सक्सेना ने अब इस मामले को राष्ट्रपति के पास भेज दिया है।

सीबीआई की जांच में क्या-क्या पाया? 
1. सीबीआई की शुरुआती जांच में सामने आया है कि फीडबैक यूनिट (एफबीयू) को जो काम दिया गया था, वह उसके अलावा खुफिया राजनीतिक जानकारियां जुटाने में भी जुटी थी। वह किसी व्यक्ति की राजनीतिक गतिविधियों, उससे जुड़े संस्थानों और आम आदमी पार्टी के राजनीतिक फायदे वाले मुद्दों के लिए जानकारी जुटाने लगी थी।

2. एफबीयू ने कुल 700 केसों की जांच की। इनमें 60% राजनीतिक निकले। जिनका सरकार के कामकाज से कोई लेनादेना नहीं था। सीबीआई के अनुसार, अभी यह साफ नहीं कि एफबीयू अभी भी एक्टिव है या नहीं।

3. सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में सरकारी खजाने में नुकसान का भी जिक्र किया। एजेंसी की मानें तो फीडबैक यूनिट के गठन और काम करने के गैरकानूनी तरीके से सरकारी खजाने को लगभग 36 लाख रुपये का नुकसान हुआ। सीबीआई ने कहा था कि किसी अधिकारी या विभाग के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

4. सीबीआई रिपोर्ट के मुताबिक, एफबीयू की स्थापना के लिए कोई प्रारंभिक मंजूरी नहीं ली गई थी, लेकिन अगस्त 2016 में सतर्कता विभाग ने अनुमोदन के लिए फाइल तत्कालीन एलजी नजीब जंग के पास भेजी थी। जंग ने दो बार फाइल को खारिज कर दिया।

अब आगे क्या? 
इसे समझने के लिए हमने अधिवक्ता चंद्र प्रकाश पांडेय से बात की। उन्होंने कहा, ‘दिल्ली केंद्र शासित राज्य है। ऐसे में यहां के किसी भी मंत्री या अफसर पर कार्रवाई करने के लिए उपराज्यपाल के जरिए केंद्र सरकार से मंजूरी लेनी पड़ती है। इस केस में भी यही हुआ। अब गृहमंत्रालय की मंजूरी के बाद सीबीआई इस मामले की खुलकर जांच करेगी और संदिग्ध लोगों से पूछताछ भी करेगी। मामले की आंच अभी उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तक है। ऐसे में सीबीआई उन्हें पूछताछ के लिए भी बुला सकती है और अगर जरूरत पड़ी तो उन्हें हिरासत में भी ले सकती है।’

पांडेय आगे कहते हैं, ‘सीबीआई सबसे पहले ये जानने की कोशिश करेगी कि एफबीयू ने किसके कहने पर राजनीतिक हस्तियों की जासूसी शुरू की? इसकी हर एक कड़ी जोड़ी जाएगी। इसमें एफबीयू में शामिल तमाम अफसर और डिप्टी सीएम जांच के दायरे में होंगे।’

आप ने आरोपों को झूठा बताया  
इन आरोपों को आम आदमी पार्टी ने झूठ का पुलिंदा बताया है। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा, ‘अपने प्रतिद्वंदियों को झूठे केस में फंसाना कमजोर और कायर इंसान की निशानी है। जैसे-जैसे आम आदमी पार्टी बढ़ेगी, हम पर और भी बहुत केस किए जाएंगे।’

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!